संजीव रत्न मिश्रा, वरिष्ठ संवाददाता, वाराणसी.

 

  • जापान की मियावाकी तकनीक नये जंगल बनाने के लिए वरदान

काशी मे पर्यटन स्वरूप को विकसित करने के उद्देश्य से क्योटो की तर्ज किये जाने की योजना अब धीरे-धीरे मूर्त रूप लेने लगी है। इसी के तहत वाराणसी के गंगापार डुमरी गांव जीटीसी कैंपस के साथ अब जापान की मियावाकी तकनीक से वाराणसी के उंदी गांव में प्रकृति प्रेमियों के लिए कृतिम जंगल विकसित किये जाने की योजना है। जिसके तहत ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये जापानी मियावाकी तकनीक से वेट लैंड विकसित करने के साथ जंगल बसाया जाएगा. जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ वाराणसी में लोगों को प्रकृति का भरपूर आनंद मिलने वाला है

इस बाबत डीएफओ महावीर कलौजगी ने बताया कि जापान की मियावाकी तकनीक जापान के वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी के नाम पर पड़ा है। इस तकनीक से 10 गुना तेजी से पौधे विकसित होते हैं और 30 गुना ज्यादा घने जंगल बन जाते हैं. बायोडाइवर्स और ऑर्गेनिक महत्व भी 100 गुना बढ़ जाता है. इस तकनीक में पानी का भी कम इस्तेमाल होता है. हवा की क्वालिटी अच्छी हो जाती है. उन्होंने बताया कि मियावाकी तकनीक में पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जंगल का पूरा ईको सिस्टम विकसित होता है. पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी इस ईको सिस्टम में खुद ही आ जाते हैं।

सूत्रों के अनुसार इस तकनीक का वाराणसी में कुछ जगह प्रयोग किया जा चुका है. डोमरी गांव में रेलवे ब्रिज के नीचे इसी तकनीक से एक घने जंगल का निर्माण किया गया है. जिसका परिणाम बेहद सकारात्मक रहा है. इसके साथ ही शहर के कुछ अन्य स्थानों पर इसी तकनीक के द्वारा वृक्षारोपण का काम किया गया है। उंदी गांव में भी इस तकनीक से इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विकास प्राधिकरण व वन विभाग के सहयोग से एक जंगल का निर्माण किया जा रहा है. ये पर्यावरण संरक्षण करने के साथ-साथ पक्षियों और जानवरों के लिए भी काफी हितकारी होगा।

वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया कि इसके लिए विकास प्राधिकरण ने प्रस्ताव बनाकर पर्यटन विभाग के पास भेजा है। प्रस्तावित वन क्षेत्र वाराणसी से जौनपुर मुख्य मार्ग से गाज़ीपुर रोड वाली रिंग रोड बाईपास से करीब 6 किलोमीटर दूर है. उंदी गांव के इस क्षेत्र के करीब 36.225 हेक्टेयर में नेचुरल फारेस्ट विकसित किया जायेगा. जिसकी करीब 4.3 किलोमीटर की फेंसिंग का काम शुरू हो चुका है, जो जुलाई के अंत तक पूरा हो जाएगा। उंदी गांव में पर्यावरण पर्यटन के लिए जंगल विकसित किये जाने की योजना के अन्तर्गत मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल इस नेचुरल फॉरेस्ट को बनाने में किया जाएगा. इस क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त रखे जाने के साथ पर्यावरण संरक्षण बनाए रखने के लिए वेट लैंड (वाटर बॉडी) कम फारेस्ट के रूप में विकसित किया जाएगा।

पर्यटकों के साथ नेचर फोटोग्राफी करने वालें ले सकेंगे जंगल सफारी का आनंद

वाराणसी में नेचर लवर्स के लिए ईको टूरिज्म और अल्टरनेटिव टूरिज्म को बढावा देने के लिए जापानी मियावाकी तकनीक पर आधारित ये पहली जगह होगी, जो बांस के वृक्षों की नेचुरल फेंसिंग के बीच जंगल का प्राकृतिक रूप ऐसा होगा कि आप प्रकृतिक सौन्दर्य का पूरा आनंद ले पाएंगे। पहले से ही मौजूद करीब आधा दर्जन तालाबों को विकसित किया जा रहा है। जहां प्रवासी पक्षियों की चहक सुनाई देगी। साईकिलिंग के लिए ट्रैक, पैदल पथ, वैटलैंड, बर्ड डाइवर्सिटी जोन,
के साथ लकड़ी के पुल से आप प्राकृतिक झीलों के साथ लोटस पॉण्ड और पुष्प तालाब पार कर सकेंगे। प्राकृतिक सौंदर्यबोध के लिये कई किस्म के फूल के सुगंध लोगो को मिलेंगी। इसके लिये फुलो की एक बड़ी वाटिका होगी. जहां किस्म-किस्म के फूलों की सुंगंध बिखरेगी साथ में हर्बल गार्डन भी बनाया जायेगा। इसके साथ ही गज़िबो होगा जिसमें प्रकृति के गोद में बने वाच टावर पर बैठकर आप जंगल का नजारा भी देख सकेंगे।