कविता सिंह, कहानीकार.

 

अंजना और अनिल दोनों की शादी अभी कुछ दिनों  पहले ही हुई थी। बहुत ही खुश थे दोनों अपनी लाइफ में।

‘ अंजना सुनो, तुम मां से जाकर पूछ लो कि क्या हम दोनों आज रात का डिनर बाहर कर सकते हैं? ‘ अनिल अंजना से मुस्कुराकर बोला था।

‘अच्छा जी,  फिर आप क्यों नहीं पूछ लेते अपनी मां से ?’ अंजना शरारत भरे लहजे में बोली थी।

‘ ठीक है बाबा मैं ही जा रहा हूं.. जाकर पूछता हूं…’  कहकर अनिल अपनी मां के कमरे में चला गया।  मां से इजाजत मिलते ही दोनों डिनर के लिए बाहर चले गए। बहुत अच्छी लाइफ चल रही थी दोनों बहुत खुश थे अपने जिंदगी में।

दूसरे दिन सुबह अनिल को एक फोन आया। उसे फॉरेन की एक कंपनी से जॉब के लिए बड़ी ऑफर आई थी। वह घर जाते ही अपनी मां और पत्नी से जॉब के बारे में बताने लगा। पर दोनों में से कोई भी उसे विदेश जाने देने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे।

‘ मां आपको तो पता है ना मेरा बचपन से सपना था इस जॉब के लिए और जब आज मौका मिला है तो आप जाने नहीं दे रही हो ! ‘

‘ बेटा ऐसी बात नहीं है, तुम ही सोचो ना , अभी शादी हुई है तुम्हारी, एक बार बहू से पूछ लो अगर वह तैयार है तो फिर मैं कुछ नहीं बोलूंगी ‘ मां बोली थी।

अनिल उठकर अपने कमरे में चला गया और अपनी पत्नी से पूछने लगा – ‘अंजना, देखो मुझे बाहर से जॉब  के लिए ऑफर आई है इस जॉब के लिए मैं बचपन से सपना देखता आ रहा हूं । सिर्फ 4 साल की ही तो बात है, उसके बाद में इंडिया वापस आ जाऊंगा। तब तक तुम यहां मां के साथ रह लो। और फोन तो मैं करता ही रहूंगा,  बीच में छुट्टी मिली तो आऊंगा भी मैं।

‘ जब बचपन से आपका यह सपना था कि मैं बाहर जाकर जॉब करूं तो फिर मैं कैसे रोक सकती हूं” भरी हुई आंखों से  अंजना ,अनिल से बोली।

फिर जाने की तैयारियां शुरू हो गई आखिरकार 8 दिन बाद अनिल के जाने का समय आ गया और वह अपनी मंजिल की ओर निकल पड़ा था।

‘ बहू , तू किसी बात की चिंता मत कर। हम सारे लोग हैं ना तेरे साथ। तुझे कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने देंगे…’ अनिल की मां अपनी बहू को समझाते हुए बोली थी।

अंजना दिनभर अपने काम में व्यस्त व हमेशा सास -ससुर की सेवा में लगी रहती थी ।बीच में कभी समय मिलता तो अपने मम्मी -पापा से मिलने मायके भी चली जाती थी।जब भी अनिल फोन करता अंजना का एक ही सवाल होता था – ‘आप कब आ रहे हैं ? आपने तो कहा था जब बीच में छुट्टी मिलेगी तो आऊंगा। पर अब तो 4 साल पूरे होनेवाले हैं ।एक बार भी नहीं आए ।हर महीने पैसे भेज देते हैं। रोज फोन करते हैं। पर आओगे कब ये तो बता दो?’

इतना सुनकर अनिल गुस्से में बोलने लगता- ‘ काम छोड़ कर आ जाऊं? अब 4 साल पूरे होने वाले हैं अब आ जाऊंगा ।’

बेचारी सुनकर चुप हो  जाती थी और करती भी क्या?

आखिरकार वह दिन आ गया जब अनिल को आने में सिर्फ 2 दिन रह गए । घरवाले बहुत खुश थे और सबसे ज्यादा खुश थी अंजना..।

2 दिन बाद सुबह से ही अंजना अनिल की पसंद की सारी चीजें बनाने में जुट गई। वह उस दिन  बिल्कुल नई दुल्हन की तरह तैयार हुई  ,जैसे वह अपनी शादी पर हुई थी।

‘ अरे बहू..  आज तो तुम बिल्कुल चमक रही हो ‘ अंजना की सासू मां उसे छेड़ते हुए बोली तो वो बेचारी शर्माकर अंदर कमरे में चली गई।

थोड़ी ही देर में एक बड़ी सी कार बाहर आकर दरवाजे पर लग गई। मां दौड़कर बाहर निकली ,अंजना भी दरवाजे पर आ गई थी। अनिल उस गाड़ी से निकला था। उसने मां के पैर छूए फिर कार से  सामान निकालने लगा। तभी अचानक मां की नजर दूसरी सीट पर बैठी

औरत पर गई।

‘बेटा ये कौन है? ‘

” मां मैं आप को सब बताता हूं” अनिल ने कहा फिर  अनिल गाड़ी में बैठी हुई उस औरत से बोला -‘ तुम भी बाहर आ जाओ’।

एक लंबी सुंदर सी लड़की जो लाल साड़ी में लिपटी हुई थी कार से उतरी व अनिल के मां के पैर छूने लगी ।

मां ने उसे आशीर्वाद देते हुए अनिल से पुनः पूछा – ‘बेटा अब तो बता दो कौन है लड़की ? ‘

‘मां , यह मेरी पत्नी है’  अनिल ने इतना ही कहा, जिसे सुनकर अनिल की मां और अंजना दोनों के तो जैसे खून सूख गए हों ।

दरवाजे पर खड़ी अंजना मानो बिल्कुल पत्थर बन चुकी थी। वह

अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रही  थी। अनिल की मां भी रोने लगी थी। पर इन सब बातों का अनिल के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा। वह अपनी दूसरी पत्नी को लेकर सीधे अपने कमरे में चला गया । अंजना की तरफ उसने एक नजर देखा तक नहीं था।

‘ बहू , मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं,  मैंने ही उसे विदेश जाने की इजाजत दी थी ‘ अंजना की सासू मां रुंधे गले से बोली थी।

‘ नहीं -नहीं मां ,  इसमें आपकी कोई गलती नहीं। सब मेरे नसीब का खेल है… ‘ इतना कहकर अंजना , सासू मां से लिपट कर रोने लगी थी। आखिर उसके संग विश्वासघात जो हुआ था।