संजीव रत्न मिश्रा, वरिष्ठ संवाददाता, वाराणसी.

 

काशी की धरोहर हो या खेल दोनो ही क्षेत्रों में आमने सामने की समानताएं एक दुसरे की पहचान बनती जा रही है। ओलंपिक में हाकी का खेल हो और उसमें काशी के खिलाड़ी का होना गर्व की बात होती है। जापान मे इस वर्ष जुलाई से अगस्त तक आयोजित होने वाले ओलंपिक गेम मे बनारस के किसी हाँकी खिलाड़ी को 24 वर्ष बाद देश खेलते देखेगा। इसके पहले हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद, विवेक सिंह के बाद 1996 मे अटलांटिका ओलंपिक में हाँकी टीम में बनारस के खिलाड़ी राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय बतौर हॉकी खिलाड़ी ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.

प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और परिस्थितियां जितनी भी बुरी क्यो ना हो प्रतिभावान व्यक्ति अपने लक्ष्य को ठान ले तो खुद की लगन से अपनी पहचान बना लेता है. ऐसे ही लगन के धनी अपने लक्ष्य की ओर कर्मठता बढते बनारस के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय का चयन टोक्यो ओलंपिक के लिए 16 सदस्यीय पुरुष टीम के लिए होने से बनारस के लिए एक ऐसी खुशखबरी आई है जिससे बनारस ही नहीं पूर्वांचल भर के हाकी खिलाड़ी उत्साहित हैं।

बनारस के हॉकी खिलाड़ियों में पद्मश्री मोहम्मद शाहिद, ओलंपियन विवेक सिंह और ओलंपियन राहुल सिंह के बाद बनारस से ललित चौथे खिलाड़ी होंगे जो ओलंपिक में बनारस का जलवा बिखेरेंगे.

वाराणसी के शिवपुर इलाके के भगवानपुर गांव में रहने वाले ललित के परिवार में खुशी का माहौल है. ललित के पिता सतीश और मां रीता उपाध्याय अपने बेटे की ओलंपिक जाने वाली टीम मे चयन की सूचना के बाद
घर आने वाले हर व्यक्ति का मुंह मीठा करा रहे हैं, टोक्यो ओलंपिक के लिए 16 सदस्यीय पुरुष टीम में ललित के अलावा टीम में कई अनुभवी खिलाड़ियों को भी रखा गया है, लेकिन ललित को पहली बार ओलंपिक खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया गया है.

पत्रकारो से बातचीत के दौरान ललित के पिता सतीश ने खुशी जाहिर करते हुये कहा बेटे का चयन ओलंपिक में होना एक माता पिता के लिए इससे बड़े गर्व की बात क्या हो सकती है. बेटे ने पूरे परिवार का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है. अब तक 120 से ज्यादा मैच खेल चुके ललित के लिए ओलंपिक खेलना सपना था, क्योंकि इसके पहले ललित ने दो बार हॉकी वर्ल्ड कप, एशिया कप, कॉमनवेल्थ गेम समेत कई बड़े टूर्नामेंट खेले हैं. सिर्फ ओलंपिक बचा था, ललित अब तक दर्जनों मेडल हासिल कर चुके हैं. पूरा घर ट्रॉफी और मेडल से भरा हुआ है. साल 2018 में ललित को सरकार की तरफ से लक्ष्मण पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.

ललित इन दिनों बेंगलुरु में अभ्यास कर रहे हैं. मोबाईल पर पत्रकार से बातचीत के जिस पर खुशी जाहिर करते हुए ललित ने कहा अपने देश के लिए टीम में खेलना गौरव की बात होती है। लगभग 24 साल बाद मुझे मौका मिला है. निश्चित तौर पर मैं बनारस को मायूस नहीं होने दूंगा और बनारस के साथ पूरे देश का सिर फक्र से ऊंचा करने का पूरा प्रयास करूंगा. बेगलुरू से ही बातचीत के दौरान ललित ने बताया कि वह अब तक 120 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं. दो बार विश्व चैंपियनशिप, एशियन चैंपियनशिप सहित चार से पांच अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा ले चुके है