संजीव रत्न मिश्रा, वरिष्ठ संवाददाता, वाराणसी.

विकासयोजना के नाम पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मूल स्वरूप के साथ काशी खण्डोंक्त सैकड़ों मंदिर के ध्वस्तिकरण के बाद गूंगा और अंधा बन योगनिद्रा में चले गये विकासवादीयों का हिन्दूत्व एक बार पुनः राम मंदिर मामले में जाग गया गुंगे बोलने लगे और अंधे इतिहास के पन्ने देखने लगे जो काशी विश्वनाथ के मामले पर अनभिज्ञ और चुप थे।

राम मंदिर का ताजा मामला उठाने वाले एक साथ कई विपक्षी पार्टियों के राजनीतिज्ञों के साथ तथाकथित सेकुलरवादी हिन्दुत्ववाद के विरोधी नही होते तो जिन हिन्दुत्ववादी शिवद्रोहीयों की आत्मा ने उनको रामभक्ती के लिए ललकारा है वो ना ललकारते।

क्योकि जिनकी आत्मा राजनीतिक लाभ के कारण पौराणिक काशी खण्डोंक्त मंदिरों की रक्षार्थ मर गयी थी। जो बेचारे जिव्हा को लकवा मारने के कारण बोलने में थोड़ी दिक्कत महसूस कर रहे थे। उन्हे पता था इस मामलें बोलने का मतलब अपने हिन्दुत्ववादी स्थानीय नेताओं पर लापरवाही का आरोप लगाना और साथ साथ पार्टी विरोधी तमगा भी लगने लगता इसलिए चाहकर भी शिवभक्ती दिखाने की जगह शिवद्रोही बन गये।

आज रामभक्ती का दिखावा करने वाले समर्थक तो जैसे हल्ला बोल वाले समर्थक बन चुके लगते हैं। इनकी रामभक्ती वैसे ही हैं जैसे अन्य पार्टियों के बंधुआ समर्थक, पहले की रामभक्ती ऐसी नहीं थी पहले रामभक्त आरोपों का तथ्यात्मक जवाब चाहते थे। यदि आज किसी शिवद्रोही रामभक्त पर आरोप लगे तो उसके चमचा संस्कृति से लबरेज समर्थक बिना जॉच उसे निर्दोष घोषित कर डालेंगे।

काशी विश्वनाथ कारिडोर में पौराणिक धार्मिक आस्था से जुड़ी भयंकर अनियमितताओं के बाद भी सरकार की कोई जवाबदेही ना होना इसका परिचायक है। नए विकासवादी समर्थकों का जुनूनी समर्थन व विचारधारा हिन्दुत्ववादियों की रीढ़ के लिए घातक साबित हो सकता है।

#हरहरमहादेव
#PMO
#CMUP
#कॉरिडोर_परियोजना
#SAVE_KASHI
#RAM_JANM_BHUMI