सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.
कृषि रक्षा वाला पक्षी और इसके पंखों से विषाणु नष्ट होते हैं।
मिर्जापुर । विजयादशमी पर नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना गया है। यह पक्षी भगवान श्रीराम को भी बहुत प्रिय था। श्रीराम को नीलकमल (नीलांबुज+श्यामल+कोमलांग) रंग से तुलना भी की जाती है। इन आध्यात्मिक प्रसंगों के वैज्ञानिक कारण भी हैं। इसलिए ऋषियों ने ऐसा कह कर इन पक्षियों की रक्षा तथा इनमें विद्यमान गुणों को आत्मसात करने पर बल दिया।
नीलकंठ की विशेषताएं
- यह पक्षी अधिकतर बगीचों और पीपल के पेड़ पर रहता है। इनके पंखों से आक्सीजन निकलता है और यह अपने इर्दगिर्द वायुमंडल को शुद्ध करता है। बरगद पेड़ को भी नील कहा जाता है।
- यह पक्षी फलों के अलावा खेतों और वृक्षों को नष्ट करने वाले कीड़े-मकोड़ों को खाता है, जिससे वनस्पति-जगत की रक्षा होती है।
- कृषि, उद्यान को क्षति पहुंचाने वाले कीट-पतंगों के लिए विष के समान हैं । महादेव ने समुद्रमंथन के बाद विषपान किया और वे नीलकंठ कहलाए। यह पक्षी भी इन कीट-पतंगों को उदरस्थ कर नीलकंठ बन जाता है। कंठ और पंख नीला है इसका।
- भगवान राम कृषि-संस्कृति के पोषक है। दुर्भिक्ष पड़ने पर जनकजी ने हल जोता तो सीताजी निकली थी। सीता हल जोतने से जो लकीर खेतों में पड़ती है, उसे कहते हैं।
- आकाश नीला है। वर्षा की बूंदे श्रीराम स्वरूप हैं जिनके बरसने से जोते गए खेत से प्राणशक्ति के रूप में खाद्य-पदार्थ निकलता है।
- धर्मग्रन्थों में धरती को माता और आकाश को पिता कहा गया है।
- नीले रंग का आशय प्रताड़ना सहने से भी है। शरीर पर जिस स्थान पर आघात लगता है, वह नीला पड़ जाता है। जो मनुष्य आघातों को सहता है, वह नील स्वरूप हो जाता है। महादेव ने भी पीड़ा सहकर विष को कंठ में ही रोक लिया। श्रीराम और श्रीकृष्ण सभी ने अपने युग की पीड़ा झेली।
- महादेव ने विष कंठ में इसलिए रोक लिया ताकि वह हृदय से होते मस्तिष्क तक न पहुंचे वरना चिंतन ही विषाक्त हो जाता।
- चमगादड़ के उड़ने से उसके पंखों से अत्यंत नुकसानदेह वायरस (विषाणु) निकलते हैं जबकि नीलकंठ की मौजूदगी से विषाणु नष्ट होते हैं।
- नील का पौधा सबसे पहले भारत में सिंध के किनारे पाया गया। यहीं से अन्य देशों में गया।
- नील का पौधा वर्षा का जल सबसे अधिक सोख कर धरती में संग्रहित करता है।
- नीलकमल तथा सूर्य की नीली किरणों के गुण का अंश नीलकंठ में पाया जाता है। नीलकंठ इन किरणों का भंडारण करता है। यह रंग आत्मबल बढाने में सहायक होता है।