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कविता सिंह, लेखिका-समाजसेविका .
एक शहर में पति- पत्नी रहते थे अनुप्रिया और साकेत। शादी के कई साल बीत गए पर उन दोनों के पास कोई औलाद नहीं थी ।
“साकेत मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूं , तुम्हारी मां एक अंतिम बार डॉक्टर को दिखाने के लिए बोल रही है तो चलो ना दिखा लेते हैं”अनुप्रिया अपने पति से बोली थी।
“अनुप्रिया इस बात के लिए हम दोनों के बीच हमेशा झगड़ा होता रहता है,आज 15 साल हो गए इलाज करवाते हुए क्या हुआ ? फालतू के पैसे खर्च होते हैं ” साकेत ने खीझकर कहा था ।
अब बेचारी अनु क्या करती, वह अपने कमरे में जाकर रोने लगी। मन ही मन वह सोच रही थी कि सुबह मां जी से बात करूंगी अब तो वही इन्हें समझा सकती हैं ।
अनुप्रिया को रात भर नींद नहीं आई। सुबह होने पर वह अपनी सास के कमरे में गई ” मां जी, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।” अपनी सास को उम्मीद भरी नजरों से देखते हुए अनुप्रिया ने कहा था ।
“हां बोलो ना बहू क्या बात करनी है तुम्हें ?” सासू मां ने उसकी ओर देखते हुए पूछा था।
“मां जी, मैंने उनको बहुत समझाया डॉक्टर के पास चलने के लिए, पर वो मेरी बात ही नहीं मान रहे हैं। एक बार आप भी बात करके देखिए न ”
“हां- हां क्यों नहीं बहू वो बिल्कुल जाएगा तुम्हारे साथ, मैं बात करती हूं जाकर ” कहकर सासू मां अपने बेटे से बात करने चली गई।
मां की बात मानकर साकेत अनुप्रिया को लेकर एक बड़े डॉक्टर के पास गया । और फिर भगवान ने भी उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली । शादी के काफी साल बाद अब अनुप्रिया मां बनने वाली थी। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था । बिजनेस के सिलसिले मैं बाहर जाते समय साकेत की गाड़ी का बहुत भयानक एक्सीडेंट हो गया। काफी कोशिश करने के बाद भी डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा पाए ।
बेचारी अनुप्रिया पर दुःख का पहाड़ टूट गया था। अनुप्रिया समझ नहीं पा रही थी कि अचानक से ऐसे कैसे हो गया। धीरे-धीरे समय बीतता गया और उसके बच्चे का इस दुनिया में आने का समय हो गया । फिर वक्त पर अनुप्रिया ने एक बहुत ही प्यारे से बच्चे को जन्म दिया जो देखने में बिल्कुल साकेत जैसा ही था।
“अनुप्रिया अपनी और इस बच्चे की जिम्मेदारी तुम कैसे उठा पाओगी, बेटा अभी समय है तुम दूसरी शादी कर लो “अनुप्रिया की मां ने उसे समझाने का प्रयास करते हुए कहा था।
“बिल्कुल नहीं मां, अब मैं दिन रात मेहनत करके इसको पालूंगी, पढ़ा-लिखाकर नेक और काबिल इंसान बनाउंगी ” अनुप्रिया रोते हुए बोली थी। उसकी बात सुनकर उसकी मां भी खामोश हो गई और अपने घर चली गई ।
अनुप्रिया दिन- रात मेहनत करने में लग गई । वह लोगों के कपड़े सिलती थी। स्वेटर बनाती थी …और बच्चे की हर ख्वाहिश पूरी करती थी। उसका बच्चा भी पढ़ाई में बहुत अच्छा था। वह भी मेहनत से पढ़ाई करने लगा और फिर एक दिन उसकी मेहनत रंग लाई। समय का चक्र चलता रहा। वह बड़ा अधिकारी बन गया और उसे पोस्टिंग पर मां से दूर दूसरे शहर जाना पड़ा। जाते समय वह मां को बहुत समझा रहा था “आप बिल्कुल भी चिंता मत करना मां , मैं जब अगली बार वापस आऊंगा तो आपको और दादी को साथ में ले जाऊंगा । ”
पर वहां जाकर उसे एक लड़की से प्यार हो गया। अब वह लड़की उसे रोज शादी करने के लिए परेशान करने लगी।उसने सोचा अगर मां को बताऊंगा तो वह शादी नहीं करने देगी अभी मुझे। इसलिए बिना बताए उसने उस लड़की से शादी कर ली।
इस बीच उसकी मां काफी बीमार रहने लगी ।रोज अपने बेटे को याद करके रोती रहती थी।एक दिन पड़ोस की एक औरत से बेटे के नाम चिट्ठी लिखवाई और उसमें अपनी जिंदगी की सारी कहानी लिख दी और दूसरे दिन है दुनिया से चली
गई !
मां के मरने की खबर सुनकर बेटा- बहू भी आए। अब परिवार वाले और पड़ोसियों ने उन्हें खूब बुरा-भला सुनाया। तभी एक पड़ोसन ने उसकी मां की लिखवाई हुई चिट्ठी उसके हाथ में रख दी। जिसे पढ़कर बेटा खूब रोया । वह बार-बार अपने आपको कोसे जा रहा था ।
पर अब तो मां छोड़ कर जा चुकी थी ।
*कहानी का उद्देश्य – मां बाप से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं हो सकता। उनकी जगह दुनिया में कोई नहीं ले सकता इसलिए हमेशा उनकी इज्जत करें ।